दोस्तों जो लोग स्टॉक/शेयर/इक्विटी बाजार में बिगिनर्स (नये) होते है, उन्हें अक्सर ये दोनों शब्द Trading vs Investing हमेशा परेशान करते है। बहुत सारे लोग ऐसे भी होते है, जो ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग को एक ही समझ बैठते है।
जबकि इन दोनों शब्दों में आसमान और जमीन का अंतर होता है। तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम ट्रेडिंग और निवेश के बीच अंतर होता है, इसे विस्तार पूर्वक जानते है।
Different Between Trading vs Investing Hindi
Trading कितने के प्रकार होते है ?-
जब भी किसी ट्रेडर के द्वारा किसी भी कंपनी के शेयर्स को शॉर्ट टर्म यानी कम अवधि (शॉर्ट टर्म से तात्पर्य होता है, कि एक वर्ष या एक वर्ष से कम का समय ) के लिए कंपनी के शेयर्स को खरीद कर अपने पोर्टफोलियों में होल्ड करते है। फिर जब कंपनी के शेयर्स का प्राइस जब बढ़ जाये तो मुनाफा देख कर शेयर्स को बेचता है।
एक अच्छा ट्रेडर वह होता है, जो ट्रेडिंग करने से पहले उस स्टॉक के टेक्निकल एनालिसिस, चार्ट रीडिंग, शेयर वॉल्यूम, कैंडलस्टिक पैटर्न्स और उस कंपनी के बारे में चल रहे करेंट न्यूज़ इत्यादि का अध्ययन कर शेयर्स की खरीद-बिक्री (खरीद-फरोख्त) करता हो ताकि अधिक से अधिक मुनाफा बना सके। दोस्तों ट्रेडिंग करना इन्वेस्टिंग के मुकाबले बहुत ही अधिक रिस्की होता है।
1. Scalping Trading
जब कोई ट्रेडर किसी भी कंपनी के शेयर्स को कुछ मिनटों के लिए खरीदता है, फिर मुनाफा/नुकसान को बुक करके तुरंत बाजार से बाहार हो जाता है, तो इस प्रकार के ट्रेडिंग को ही स्कल्पिंग ट्रेडिंग कहा जाता है।
2. Intraday Trading
जब भी कोई ट्रेडर किसी भी कंपनी के शेयर्स को एक दिन के लिए खरीदता है। और पूरे एक दिन के भीतर कभी भी खरीद कर उसी दिन बेंच देना होता है, तो इस प्रकार के ट्रेडिंग प्रक्रिया को इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है।
3. Swing Trading
जब भी कोई ट्रेडर किसी भी कंपनी के शेयर्स को खरीद कर कुछ दिनों या कुछ हफ़्तों के लिए अपने पोर्टफोलियों में होल्ड करता है, फिर जब शेयर्स मुनाफा देता हो तब उसे बेचा जाता हो, तो इस प्रकार के ट्रेडिंग को ही स्विंग ट्रेडिंग कहते है।
4. Position Trading
जब कोई भी ट्रेडर किसी कंपनी के शेयर्स को कुछ महीनों के लिए या फिर कुछ सालों के लिए अपने पोर्टफोलियों में होल्ड कर के रखता हो, फिर जब वह शेयर्स मुनाफा दे रहा हो तब उसे बेचता हो, तो इस प्रकार के ट्रेडिंग को पोजीशन ट्रेडिंग कहा जाता है।
Investing क्या होता है ?
दोस्तों जैसा की हमने अभी-अभी समझा कि जब भी कोई व्यक्ति ट्रेडिंग करता है, तो उसे “ट्रेडर” कहा जाता है। ठीक उसी तरह से जब भी कोई व्यक्ति “इन्वेस्टमेंट” करता हो, तो उसे “इन्वेस्टर” कहा जाता है।
जब किसी इन्वेस्टर (Investor) के द्वारा किसी भी कंपनी के शेयर्स को लम्बी अवधि के लिए इन्वेस्ट किया जाता हो ( एक वर्ष या एक वर्ष से अधिक के लिए), तो इसे ही “इन्वेस्टमेंट” कहा जाता है। जो भी अच्छे निवेशक (इन्वेस्टर) होते है, वे सही समय आने पर अच्छे शेयर्स का चुनाव करते है, फिर उसे खरीद कर अपने पोर्टफोलियो में होल्ड कर के रखते है, और सही समय आने पर जब वह शेयर अच्छा मुनाफा देता है। तब उसे बेचते है।
दोस्तों जिस प्रकार ट्रेडिंग करने के लिए ट्रेडर्स को टेक्निकल एनालिसिस, चार्ट रीडिंग, कैंडलस्टिक पैटर्न्स, करेंट न्यूज़ इत्यादि का अध्ययन करना होता है। ठीक उसी प्रकार इन्वेस्टिंग करने के लिए भी इन्वेस्टर्स को भी कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस इत्यादि का अध्ययन करना होता है।
जिससे की हमें कंपनी के दूरगामी परिणामों का पता चलता है, इस प्रक्रिया में अगर कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस मजबूत पाया जाता है, तो इन्वेस्टर उस कंपनी में अपने पैसे को निवेश कर देते है अन्यथा निवेश नहीं करते है।
अगर कंपनी का फंडामेंटल स्थिति कमजोर पायी जाती है, इसके बाद भी उस कंपनी में निवेश किया जाता है तो धन में बढ़ोतरी होने के बजाय धन में हानि का सामना करना पड़ सकता है।