Types of Mutual Funds: म्यूचुअल फण्ड कितने प्रकार के होते है ?

Types of Mutual Funds भारत में म्यूचुअल फंडों के द्वारा अनेकों प्रकार की स्कीमें लॉन्च की गई है ! हम अपनी सुविधा के अनुसार बेहतर म्यूचुअल फण्ड का चुनाव करके अपनी मनपसन्द स्कीम में अपने पैसे को निवेश कर सकते है !

आज के इस लेख में हम जानेंगे की म्यूचुअल फण्ड कितने प्रकार में वर्गीकृत किया गया है, और हमारे लिए सबसे बेहतर म्यूचुअल फण्ड कौन हो सकता है –

Types of Mutual Funds
Types of Mutual Funds

Mutual Funds in Hindi

खुले अंत वाला म्यूचुअल फण्ड (Open-ended Mutual Fund)

म्यूचुअल फण्ड के इस श्रेणी में आने वाले फंडों की कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं होती है ! यह फण्ड कई सालों तक खुले रहते है, जब तक की इस फण्ड की स्कीम को समाप्त करने का निर्णय नहीं लिया जाए !

भारत में ज़्यदातर म्यूचुअल फंड स्कीमें खुली अन्त वाली स्कीमें होती है ! क्योकिं इस फण्ड में निवेशक जब भी चाहे निवेश कर सकता है !

शुरुआती समय में जब भी कोई स्किम लॉन्च होती है तो यह प्रारंभिक समय (Initial Period) कहा जाता है ! अगर कोई भी निवेशक प्रारंभिक समय में यूनिट खरीदता है, तो उसे यूनिट के Face Value पर ही मिल जाता है !

लेकिन अगर यह स्कीम शेयर बाजार में लिस्ट हो जाता है, तो निवेशक को Market Value पर यूनिट को खरीदनी पड़ती है !

यही कारण है कि स्कीम के यूनिटों का Market Value (बाजार मूल्य) प्रत्येक दिन घोषित  होता है, ताकि निवेशक अपनी यूनिटों को बेचने और खरीदने का निर्णय ले सके ! निवेशक से यूनिटों का खरीद और बिक्री करने का कार्य फण्ड हाउस के द्वारा किया जाता है !

बंद अंत वाला म्यूचुअल फण्ड (Close-ended Mutual Fund)

म्यूचुअल फण्ड के इस श्रेणी में आने वाले फंड की समय-सीमा पहले से ही निर्धारित होती है ! इस स्किम के लॉन्च के दौरान ही समय तय कर दी जाती है ! इस स्किम का Initial Period (प्रारम्भिक अवधि) जब तक Open रहता है, तब तक कोई भी व्यक्ति यूनिट को Face Value (अंकित मूल्य) पर खरीद सकता है ! 

Initial Period (प्रारम्भिक अवधि) ख़त्म होने के बाद हम इस स्किम में सीधे निवेश नहीं कर सकते है ! जब भी कोई Investor (निवेशक) लम्बी अवधि के लिए निवेश करना चाहता है, तो वे इस योजना में शामिल हो सकते है, क्योकिं निवेशित की गयी राशि फण्ड मैनेजरों के पास लम्बी अवधि के लिए आ जाता है !

इसके बाद फण्ड मैनेजर उस  फण्ड को अच्छी कमाई देने वाली प्रतिभूतियों में बिना संकोच के निवेश कर देता है, इस प्रकार से निवेशकों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होता है !

इस योजना में निवेश की गयी राशि लम्बे समय के लिए बंध जाती है ! लेकिन सेबी के दिशा निर्देश के अनुसार निवेशक को यह सुविधा प्रदान की गयी है कि निवेशक चाहे तो बीच की अवधि में भी अपने निवेश की गयी राशि को वापस ले सकते है !

लेकिन इसके बदले में उन्हें एक निकासी शुल्क देना होगा ! इस श्रेणी में आने वाले सभी स्कीमों के यूनिट का Market Value (बाजार मूल्य) साप्ताहिक आधार पर घोषित किया जाता है. इस स्कीम का लॉक-इन-पीरियड्स सामान्यत:  3 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक की अवधि होती है !

इंडेक्स फण्ड (Index Fund)

इंडेक्स फण्ड अर्थात BSE Sensex में शामिल 30 अग्रणी कम्पनियाँ तथा Nifty 50 में शामिल 50 कंपनियों के शेयरों को फण्ड मैनेजर के द्वारा निवेश किया जाता है ! ताकि इनके द्वारा निवेशित धन बाजार के साथ-साथ चले ! इस श्रेणी के निवेश में शेयर बाजार के क्रिया-कलापों से प्रभावित होते है .

क्योकिं इस फण्ड में निवेश के लिए कुल 80 कंपनियों के शेयर ही उपलब्ध होते है ! अतः इस प्रकार के निवेश को कुछ निवेशक संकुचित मानकर दूर रहते है इसलिए इसमें जोखिम की संभावना रहती है !

ग्रोथ म्यूचुअल फण्ड (Growth Fund)

ग्रोथ म्यूचुअल फण्ड जिसे इक्विटी फण्ड भी कहा जाता है ! ग्रोथ फण्ड के श्रेणी में उन म्युचुअल फण्डों को शामिल किया गया है ! जो अपने पोर्टफोलियो में अधिक संख्या में ब्लूचिप्स कम्पनियों के शेयर रखते है !

इस प्रकार के शेयर लम्बे समय में बहुत अधिक लाभ अर्जित कर के देते है ! क्योकिं यह निवेश सीधे शेयर बाजार से जुड़े होते है !

अतः यह शेयर बाजार में अधिक उतार-चढ़ाव होने से अधिक प्रभावित होते है ! इसलिए इसमें अधिक जोखिम  होता है, जो व्यक्ति अधिक जोखिम उठाने के लिए तैयार होते है,

वे लोग इस फण्ड को अधिक पसंद करते है ! क्योकिं अधिक जोखिम के साथ-साथ अधिक लाभ भी इस फण्ड से बना सकते है !

गिल्ट म्यूचुअल फण्ड (Gilt Fund)

गिल्ट फण्ड की श्रेणी में आने वाले म्युचुअल फण्ड अपना सारा धन केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी किये गए प्रतिभूतियों और रिज़र्व बैंक के द्वारा अधिकृत प्रतिभूतियों में ही निवेश करते है !

इस प्रतिभूतियों में निवेश करने से बहुत कम आय प्राप्त होता है और इसमें जोखिम की संभावना शून्य होती है !

निवेशकों को इस फण्ड में निवेश करने से यह फ़ायदा होता है, कि वे जब भी चाहे अपने धन को नगदी में परिवर्तित कर सकते है, इसके अलावे इस फण्ड से प्राप्त आय पर कर (टैक्स) सामान्यत : मुफ्त होता है ! 

लिक्विड म्यूचुअल फण्ड (Liquid Fund)

लिक्विड फण्ड उन निवेशकों को ध्यान में रख कर बनाया गया है, जो अपनी जमापूँजी को कुछ  महीनों के लिए ऐसे फण्ड में निवेश करना चाहते है जहाँ से वे बैंकों के मुकाबले अधिक व्याज प्राप्त कर सके इसके उपरांत निवेश किये गए धन में पूर्ण रूप से तरलता हो !

अर्थात निवेशक जब भी चाहे तब उस पैसे को आसानी से निकाल सके ! इस श्रेणी के फण्ड को डेब्ट इंस्टूमेंट में जैसे कि ट्रेज़री बिल, गिल्ट प्रतिभूति, काल मनी, इत्यादि में निवेश किया जाता है !

इस फण्ड में निवेशक अपने धन को अधिकतम 3 महीने के लिए निवेश करते है ! व्यापारी वर्ग के लोग इस फण्ड को अधिक पसंद करते है !

शार्ट टर्म फण्ड (Short Term Fund)

इस श्रेणी में निवेशक अगर अपने धन को 3 महीने से लेकर 1 वर्ष की अवधि के लिए निवेश करना चाहता है तो यह फण्ड उसके लिए बेहतर फण्ड है !

इस फण्ड में फण्ड मैनेजर निवेशकों द्वारा निवेश किये गए अवधि के अनुरूप डेब्ट इंस्टूमेंट में निवेश करते है ! इन फण्डों में जोखिम नहीं के बराबर होता है !

लार्ज कैप इक्विटी फण्ड (Large Cap Equity Fund)

लार्ज कैप म्यूचुअल फण्ड के द्वारा अपने निवेश का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा शेयर बाजार में लिस्टेड लार्ज कैप वाली कम्पनियों  के शेयर्स में निवेश कर दिया जाता है ! बाकी का बचा शेष हिस्सा अन्य फंडों में निवेश कर दिया जाता है !

लार्ज कैप फण्ड, ग्रोथ फण्ड की तरह अधिक कमाई देने वाला फण्ड है साथ ही यह फण्ड अधिक जोखिमों से भरा होता है ! यह इक्विटी म्युचुअल फण्ड की श्रेणी में आने वाला फण्ड है !

मिड कैप इक्विटी म्यूचुअल फण्ड (Mid Cap Equity Mutual Fund)

मिड कैप इक्विटी म्यूचुअल फण्ड के द्वारा अपने निवेश का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा  शेयर मार्केट में लिस्टेड मिड कैप कंपनियों के शेयर्स में निवेश किया जाता है !

इस फण्ड में निवेश करने के लिए फण्ड मैनेजर को किसी विशेष प्रकार की योजना नहीं बनानी पड़ती है ! यह म्यूचुअल फण्ड इक्विटी म्युचुअल फण्ड के श्रेणी में आता है !

सेक्टर म्यूचुअल फण्ड (Sector Mutual Fund)

सेक्टर म्यूचुअल फण्ड की धनराशि को  शेयर बाजार के माध्यम से इक्विटी शेयर्स में निवेश किया जाता है, लेकिन इसमें फण्ड मैनेजर की योजना यह होती है, कि वे किसी विशेष सेक्टर में निवेश करे !

जैसे कि रियल इस्टेट सेक्टर, मेटल सेक्टर, पावर सेक्टर इत्यादि ! फण्ड मैनेजर के द्वारा ऐसे सेक्टर्स का चुनाव किया जाता है, जिसमें ग्रोथ होने की अधिक से अधिक संभावना होती है !

इस फण्ड को थीमेटिक फण्ड और स्पेशिलिटी फण्ड के नाम से भी जाना जाता है ! निवेशकों के द्वारा इस फण्ड में कम निवेश किया जाता है ! यह फण्ड अधिक लाभ अर्जित करने वाला फण्ड के साथ-साथ अधिक जोखिम वाला फण्ड भी माना जाता है !  

फ्लेक्सी म्यूचुअल फण्ड (Flexy Mutual Fund)

फ्लेक्सी म्यूचुअल फण्ड अपनी विनियोग योजना के अनुरूप लार्ज कैप, मिड कैप या स्माल कैप किसी भी प्रकार के शेयर्स में निवेश कर सकते है ! इस फण्ड की विशेषता होती है इसका लचीलापन ! अगर इस प्रकार के निवेश का निर्णय फण्ड मैनेजर के द्वारा लिया जाता है, तो इसे ही फ्लैक्सी म्युचुअल फण्ड कहते है !

इस स्कीम को लॉन्च करते समय ही यह बता दिया जाता है, कि इस म्युचुअल फण्ड की कितनी धनराशि लार्ज कैप, किंतनी मिड कैप या कितनी धनराशि स्माल कैप में निवेश किया जाएगा !

टैक्स सेविंग फण्ड (Tax Saving Fund)

टैक्स सेविंग फण्ड की श्रेणी में उन म्यूचुअल फण्डों को शामिल किया गया है, जिसके खरीद पर निवेशक को टैक्स (आयकर) में छूट प्राप्त हो !  इस प्रकार की स्कीमें सामान्यत : वित्तीय वर्ष के समापन के कुछ समय पूर्व लॉन्च की जाती है !

इस फण्ड को इक्विटी लिंक्स सेविंग स्कीम (ELSS) के नाम से भी जाना जाता है ! इस म्युचुअल फण्ड से निवेशकों को आयकर में छूट मिलता है, साथ ही आय में वृद्धि और शेयर बाजार से जुड़े सभी प्रकार के लाभ मिलते है !

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नमस्कार, मैं श्री विजय वर्मा Investing Fundas का संस्थापक, मैं एक ब्लॉगर, यूट्यूबर, लेखक, ट्रेडर एवं SBI लाइफ आईए हूँ।

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